GST और दिवाला कानून में बिगड़ा तालमेल, फसा करोड़ो में पैसा

गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स व्यवस्था और इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड यानी दिवाला कानून के बीच ऐसा विवाद खड़ा हो गया है, जिसके कारण कई रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही कंपनियां चपेट में आ गई हैं। सूत्रों ने बताया कि कुछ कंपनियां तो इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट को इस मामले में अदालत में घसीटने की तैयारी कर रही हैं। ऐसा मानना है की GST सॉफ्टवेयर कंपनियों को पिछले वर्षों का टैक्स चुकाए बगैर मौजूदा या भविष्य का टैक्स चुकाने नहीं देता, जबकि दिवाला कानून कहता है कि बैंकों का बकाया मिलने के बाद ही कर वसूली प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि दिवाला कानून में एक वक्त के बाद GST समेत पिछला टैक्स चुकाने से कंपनियों को छूट मिली हुई है। हालांकि, जिस तरह से GST सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है, उसमें कंपनियां बकाया कर चुकाए बगैर टैक्स का भुगतान नहीं कर सकतीं। इससे भारी परेशानी खड़ी हो गई है।तो वही यह कहना है कि इस तरह के मामलों से हजारों करोड़ का GST जुड़ा हुआ है।
अभी 1,300 कंपनियां का लोन रिजॉल्यूशन दिवालिया अदालत के जरिये करने की कोशिश हो रही है। अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि जिन 12 कंपनियों को सबसे पहले दिवालिया अदालत में भेजा गया था, उन पर व्यवस्था की इस गड़बड़ी की सबसे तगड़ी मार पड़ी है। इन कंपनियों में बैंकों का कुल 3.5 लाख करोड़ रुपया फंसा था।
तो वही GST का भुगतान ऐंड कन्ज्यूमर को करना होता है और इसका भुगतान किए बिना कोई सामान या सेवा नहीं दी जा सकती। बैंक इन मामलों से खास चिंतित हैं। उनका कहना है कि जब दिवालिया कंपनियों को दिए गए कर्ज पर वे नुकसान उठा रहे हैं, फिर इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट उनसे ऊपर क्यों रखा जा रहा है।

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