व्यर्थ रही जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का पहल

जलवायु परिवर्तन किसी एक भुखंड की समस्‍या नहीं है, बल्कि यह एक जगत समस्‍या बन चुकी है aur वहीँ इस समस्‍या के कारण हम खुद हैं। यह बता दे की इसे रोकने की पहल हुई, लेकिन परिणाम संतोषजनक नहीं रहा जिसके चलते यह समस्‍या और चिंताजनक हालत में पहुंच चुकी है।
आपको यह भी बता दे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्‍त राष्‍ट्र की ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है तो वहीँ रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हो रही तमाम कोशिशों के बावजूद वर्ष 2015-2019 के बीच का कालखंड सबसे गर्म रहने वाला है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में समाप्‍त होने वाला पांच वर्ष का कालखंड वैश्विक औसत तापमान के आधार पर सबसे गर्म रहने वाला है तो वहीँ यह दुनिया के लिए चौंकाने एंव चिंतित करने वाली खबर है। खास बात यह है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब सोमवार को यानी आज संयुक्‍त राष्‍ट्र पर्यावरण शिखर सम्‍मेलन हो रहा है। इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि हिस्‍सा ले रहे हैं।
संयुक्‍त्‍ राष्‍ट्र की रिपोर्ट में बताया है कि जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में जितना काम हो रहा है और जितने की जरूरत है उसमें बड़ा अंतर है। कार्बन डाईआक्‍साइड में गिरावट की बजाय वर्ष 2018 में यह दो फीसद की वृद्धि के साथ अब तक शीर्ष स्‍तर 37 अरब टन पर पहुंच गया है। तो वहीँ वर्ष 2015 में प‍ेरिस समझौते के तहत देशों को कार्बन का उत्‍सर्जन की सीमा तय करने तथा तापमान वृद्धि को 1.5-2 डिग्री सेल्सियस के नीचे रखने का संकल्‍प लिया गया।

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