सोशल मीडिया पर मौजूद 79 प्रतिशत कंटेंट आम लोग कर रहे तैयार
सोशल मीडिया पर आज हम-सभी जो देख, पढ़ और सुन रहे हैं उसमें से 79 प्रतिशत चीजें आम लोगों द्वारा तैयार की गई हैं। और बाकि हिस्सा संगठित क्षेत्रों, अभियानों और कंपनियों से आ रहा है। जरुरी बात यह है कि 2013 में इस प्रकार का कंटेंट केवल आठ प्रतिशत था। यानी इसे उपलब्ध करवाने में खुद यूजर्स की भागीदारी केवल पांच वर्ष में 10 गुना बढ़ चुकी है।
सूत्रों के अनुसार इस कंटेंट में फोटो और वीडियो जहां बढ़े हैं, वहीं ब्लॉग की संख्या कम हुई है। इसी के साथ 69 प्रतिशत इंटरनेट यूजर्स सोशल मीडिया पर अपने द्वारा ली गई तस्वीरें और वीडियो अपलोड कर रहे हैं। लेकिन लिखने का काम 14 प्रतिशत ही कर रहे हैं। इसमें भी एक बड़ा हिस्सा फेसबुक और कुछ हिस्सा ट्विटर पर जा रहा है, ब्लॉग की संख्या आधी से भी कम रह गई है।
खतरे घटे
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के अनुसार पहले के मुकाबले इंटरनेट उपयोग करने के खतरे घटे हैं
12 प्रतिशत ने वायरस और मैलवेयर मिलने की बात मानी, 2013 में यह संख्या 30 प्रतिशत थी
52 प्रतिशत के अनुसार वायरस-मैलवेयर आज भी खतरा हैं, 2013 में 69 प्रतिशत इनकी वजह से चिंतित थे
33 प्रतिशत यूजर्स इनसे बचने के लिए उपाय कर रहे हैं, 2013 में 76 प्रतिशत ऐसा कर रहे थे।
लेन-देन के लिए इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ी
83 प्रतिशत इंटरनेट उपयोगकर्ता इसका उपयोग रुपयों के लेन-देन और खरीदारी में कर रहे हैं, 2013 में यह संख्या 59 प्रतिशत थी
72 प्रतिशत फिल्में व टीवी सीरीज देखने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं, पहले यह संख्या 40 प्रतिशत थी
76 प्रतिशत ने संगीत सुनने के लिए इंटरनेट को माध्यम बनाया जो पहले 60 प्रतिशत था
इसलिए ऑनलाइन नहीं आना चाहते
72 प्रतिशत यह भी मानते हैं कि इसकी वजह से उनकी निजता छिन रही है
69 प्रतिशत का यह भी दावा है कि उन्हें इसमें रुचि नहीं है
18 लोग इंटरनेट उपयोग करने की जानकारी नहीं रखते
डिजिटल भेदभाव बढ़ने का भी खतरा
रिसर्च के अनुसार इंटरनेट उपयोग करने और न उपयोग करने वालों के बीच में डिजिटल भेदभावपूर्ण समाज का निर्माण होने का खतरा है। इसकी वजह से कई प्रकार की सुविधाओं खासतौर से सरकारी सेवाओं से एक बड़ा वर्ग वंचित रह सकता है। इनमें 40 प्रतिशत की आय सालाना 11 लाख रुपये से कम है।