सरकारी स्कूल से पढ़े वैज्ञानिक ने दिया मिशन चंद्रयान-2 को अंजाम
भारत में चांद पर पहुंचने को लेकर बहुत लोगो के सपने है उनमें से प्रमुख डॉ के सिवन जो एक किसान के बेटे और एक कामयाब ऐरोनॉटिकल इंजीनियर हैं. डॉ के सिवन इसरो के चेयरमैन होने के नाते इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं.अंतरिक्ष में एक साथ 104 सैटलाइट छोड़कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है. के सिवन ने बताया कि मैं एक ग़रीब घर से आता हूं, मेरा परिवार किसानी करता है. मैं तमिल मीडियम में सरकारी स्कूल से पढ़ा हूं. चंद्रयान-2 अभियान के लिए पर्दे के पीछे काम करने वालों में और भी कई ख़ास नाम हैं. जिनमें डॉ एस सोमनाथ जो मैकेनिकल इंजीनियर हैं और जिन्होंनें क्रायोजेनिक इंजन की खामियों को सुधारा है. वैज्ञानिक डॉ वी नारायण जो क्रायोजेनिक इंजिन फैसिलिटी के प्रमुख हैं. रॉकेट इंजीनियर से सैटलाइट फैब्रिकेटर बने 58 साल केपी कुन्हीकृष्णन ने यूआरराव सैटलाइट सेंटर के निदेशक के नाते चंद्रयान 2 को फिनिशिंग टच दिया. चंद्रयान 2 के रॉकेट लॉन्च के मिशन डायरेक्टर रहे जे जयप्रकाश और व्हीकल डायरेक्टर रहे रघुनाथ पिल्लै इसरो के रॉकेट स्पेशलिस्ट हैं और 15 जुलाई की रात मिशन को फेल होते-होते उन्होंने ही बचाया.
अंतरिक्ष में चंद्रयान 2 को लगातार दिशा देने का काम बेंगलुरु के बायलुलु में भारत के डीप स्पेस नेटवर्क से हो रहा है. इसकी कमांड डॉ वीवी श्रीनिवासन के हाथों में है. चांद पर भारत के इस मिशन के पीछे देश की नारी शक्ति की भी बड़ी भूमिका है. पेशे से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशंस इंजीनियर एम वनिता चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं. वो तीस साल से इसरो के साथ हैं और उन्होंने ही चंद्रयान 2 को तैयार किया है. ऐरोस्पेस इंजीनियर ऋतु कारिधाल ने भी इसरो में दो दशक गुज़ारे हैं. मंगलयान को मंगल तक पहुंचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है वो अब चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर हैं.
भारत के मंगलयान मिशन में अगुवा रहे डॉ. अनिल भारद्वाज प्लैनेटरी साइंटिस्ट हैं. वो अभी फिज़िकल रिसर्च लैबोरेटरी अहमदाबाद के डायरेक्टर हैं और इस मिशन से शुरू से जुड़े हुए हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि मिशन चंद्रयान 2 के पीछे सिर्फ इतने ही लोग हैं तो आप गलत हैं. इस अभियान के पीछे इसरो के उन साढ़े सोलह हज़ार महिला और पुरुष तकनीशियनों और कर्मचारियों की भूमिका किसी भी हाल में कम नहीं आंकी जा सकती जो इसके कलपुर्जों को तैयार करने से लेकर इसे दिशा देने तक में जुटे थे