पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सुनना, तर्क करना और समर्थन न करना को लोकतंत्र की सुगंधि बताया है। उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर चल रहे मौजूदा शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुके हैं। पूरा विश्वास है कि विरोध प्रदर्शन की इन लहरों से भारतीय लोकतंत्र की जड़ें और गहरी होंगी।
RANJANA