लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ कानून बनाने की अनुशंसा
समाज में महिलाओं के सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने बुधवार को राज्य सरकार से ‘लिव-इन-रिलेशनशिप’ की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने के लिये कानून बनाने की अनुशंसा की है. आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश टाटिया और न्यायाधीश महेश चंद्र शर्मा की एक खंडपीठ ने बुधवार को राज्य के मुख्य सचिव और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर राज्य सरकार से अनुशंसा की है कि इस मामले में कानून बनाये.
गौरतलब है कि आयोग के समक्ष लिव-इन रिलेशनशिप’ के कुछ मामले सामने आने के बाद कुछ माह पूर्व सभी हितधारकों से ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में रह रही महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में कानून बनाने के लिये सुझाव मांगे गए थे. सभी हितधारकों के सुझावों और उनकी कानूनी राय के बाद आयोग ने पाया कि हर व्यक्ति को सम्मान पूर्वक जीवन जीने का अधिकार है जो कि भारतीय संविधान में मूल अधिकारों में शामिल है. खंडपीठ ने अपनी अनुशंसाओं में कहा कि किसी महिला का ‘रखैल’ जीवन किसी भी दृष्टि से महिला का सम्मानपूर्वक जीवन नहीं कहा जा सकता है.रखैल अपने आप में ही अत्यंत गंभीर चरित्र हनन करने वाला और घृणित संबोधन है.