राष्ट्रपति करेंगे तीन देशों की यात्रा
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को तीन देशों की यात्रा पर जाएंगे. कोविंद आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया का दौरा करेंगे. इस दौरे के दौरान खासतौर पर वह पुलवामा हमले समेत इस साल की आतंकवादी घटनाओं के आलोक में भारत की ‘ राष्ट्रीय चिंताओं’ पर उन देशों के शीर्ष नेतृत्व को जानकारी देंगे. राष्ट्रपति की नौ दिवसीय यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए सरमा ने कहा, ‘हम एक दूसरे को ब्रीफ करने के लिए सदैव ऐसे मौकों का इस्तेमाल करते हैं. जैसे हमारे मुद्दे हैं, वैसे ही इनमें हर देश की अपनी अपनी चिंताएं हैं. इसलिए उच्चतम स्तर पर चीजें सुनने की व्यवस्था है कि हमारा दृष्टिकोण क्या है और उनका दृष्टिकोण क्या है. इसलिए हम निश्चित ही इन मौकों का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि हमें उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराना है.’
रामनाथ कोविंद नौ सितंबर को पहले आइसलैंड पहुंचेंगे और वहां के राष्ट्रपति गुडनी जॉनसन और प्रधानमंत्री कैट्रिन जाकोसडोट्टिर से बातचीत करेंगे. वह आइसलैंड विश्वविद्यालय में ‘हरित ग्रह की ओर भारत आईसलैंड साझेदारी’ विषय पर व्याख्यान देंगे. सरमा ने बताया कि राष्ट्रपति का अगला पड़ाव स्विट्जरलैंड होगा जहां वह 11 सितंबर को पहुंचेंगे और 15 को वहां से रवाना होंगे. वह स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति यूली मौरेर और मंत्रिमंडल के सदस्यों से भेंटवार्ता करेंगे. इसके साथ ही आर्थिक मुद्दों पर भारत -स्विस सहयोग खासकर इस मायने में अहम है कि सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान इस महीने से शुरू हो गया है जिससे भारतीयों के स्विस खातों के ब्योरे उपलब्ध हो पाएंगे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की स्विट्जरलैंड की यात्रा का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक आधार है जिसके तहत भारतीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत स्विस व्यापार फोरम के तहत अपने समकक्ष के साथ संवाद करेगा. कोविंद इस यात्रा के दौरान बर्न विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को संबोधित करेंगे और महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण करेंगे.
15 सितंबर को कोविंद स्लोवेनिया पहुंचेंगे. वह वहां के राष्ट्रपति बोरूत पाहोर और प्रधानमंत्री मार्जन सारेक के साथ व्यापक वार्ता करेंगे. कोविंद व्यापार फोरम के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. भारतीय समुदाय उनके लिए एक स्वागत कार्यक्रम आयोजित करेगा. सरमा ने बताया कि राष्ट्रपति की इन तीन देशों की यात्रा के दौरान खासकर जलवायु पर कई सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर और समझौते होंगे.