रंजन गोगोई ने न्यायपालिका और जजों की आजादी बरकरार रखने के लिए दिया ‘मौन मंत्र’ का संदेश

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने आखिरी कार्यदिवस पर न्यायपालिका और जजों की आजादी बरकरार रखने के लिए ‘मौन मंत्र’ का संदेश दिया। 17 नवंबर को रिटायर हो रहे जस्टिस गोगोई ने जारी किए गए अपने नोट में कहा, वकीलों को बोलने की स्वतंत्रता है और यह होनी चाहिए। मगर, पीठ के जजों को अपनी स्वतंत्रता कायम रखने के लिए मौन रहना चाहिए। हालांकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें चुप रहना चाहिए, बल्कि जजों को अपने संरक्षण के वहन करने के दौरान ही बोलना चाहिए, बाकी वक्त उन्हें मौन ही रहना चाहिए।

इसी दौरान उन्होंने अपने सहयोगी जजों को कहा, जेहन में हमेशा कड़वा सत्य बना रहना चाहिए। मैंने एक ऐसे संस्थान के साथ जुड़ने का फैसला किया जिसकी ताकत ही जनमानस का भरोसा और विश्वास है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इंसाफ तक आम आदमी की पहुंच हो और उसे यह लगे कि इंसाफ से उसे जुदा नहीं किया जा सकता।

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RANJANA

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