बुढ़ापे में नहीं होगी डायबिटीज, कब्ज और मोटापे की दिक्कते
लोगो को बुढ़ापे में शारीरिक कमजोरी और रोगों से ग्रस्त होने का संदेह काफी बढ़ जाता हैं। वृद्धों को मनोवैज्ञानिक परेशानियों जैसे अकेलेपन आदि से भी गुजरना पड़ता है। वृद्ध लोगों में समुचित मात्रा में पोषण न मिलना, मोटापा, हृदय रोग और ऑस्टियोपोरोसिस रोग होने का ख़तरा कहीं ज्यादा होता है। अगर उनके खान-पान पर ध्यान दिया जाए, तो ये सारी समस्याएं काफी हद तक कम हो सकती हैं।
कुछ ऐसी होनी चाहिए डाइट
प्रोटीन की शरीर के वजन के अनुसार जरूरत होती है। जैसे किसी बुजुर्ग का वजन अगर 50 किलोग्राम है, तो उसे प्रतिदिन 50 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होगी। बहरहाल, भूख कम लगने एवं हाजमा कमजोर होने के कारण वृद्धों को उपरोक्त मात्रा से ज्यादा प्रोटीन युक्त खाद्य-पदार्थ नहीं लेना चाहिए। प्रोटीन से भरपूर पदार्थ जैसे- अंडा, मछली, दही, पनीर और दालें आदि को प्रत्येक वृद्ध के स्वास्थ्य की स्थिति के अनुसार देना चाहिए।।
वृद्धावस्था में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी कैल्शियम की कमी से होती है इसलिए वृद्धों को कैल्शियम की जरूरत होती है। 50 वर्ष से अधिक उम्र वाली ऐसी महिलाएं जिनका ज्यादातर वक्त घर में बीतता है और जो विटामिन डी की कमी से ग्रस्त हैं, वे भी ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रस्त हो सकती हैं। दूध, दही, पनीर और रागी आदि कैल्शियम प्राप्ति के अच्छे स्रोत हैं। सुबह के वक्त सूर्य की रोशनी में बैठने से विटामिन डी प्राप्त होता है। कैल्शियम के समुचित अवशोषण के लिए विटामिन डी जरूरी है।
वृद्धों में भी वयस्कों की तरह 25 से 30 मिलीग्राम एमजी प्रतिदिन आयरन की जरूरत होती है। अगर कोई वृद्ध शरीर में खून की कमी एनीमिया से पीड़ित हैं तो उसे 10 एमजी से अधिक आयरन की जरूरत होगी। गुड़, शक्कर, बाजरा, दालें एवं पालक आदि आयरन के अच्छे स्रोत हैं। विटामिन सी से युक्त पदार्थ लेने से आयरन का अवशोषण शरीर में अच्छी तरह होता है।