बच्चों में कुपोषण होने की क्या है वजह? जाने
बाल्यावस्था में बच्चे शारीरिक और मानसिक विकास की महत्वपूर्ण अवस्था एवं स्वस्थ वयस्क जीवन की नींव है। इस अवस्था में कुपोषण के गंभीर अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक प्रभाव होते हैं। इस समय देश के लगभग 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से ग्रस्त हैं।
आपको बता दे सभी आयुवर्ग के व्यक्तियों के लिए पोषक तत्वों का महत्व है, लेकिन बाल्यावस्था में इनका विशेष महत्व है। हमारे डाइट में मौजूद न्यूट्रिशन अनेक प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी के लिए जरूरी होते हैं इसलिए आपको पता होना चाहिए कि किस तरह का खानपान हमारे लिए फायदेमंद है और कौन से नुकसानदायक।
इन दिनों एक बड़ी संख्या में बच्चे कोल्ड ड्रिंक्स पी रहे हैं। कोल्ड ड्रिंक की एक बोतल बच्चे की दिन की ऊर्जा आवश्यकता का 15 प्रतिशत तो पूरा कर देती है पर उसमें पोषक पदार्थ नहीं होते हैं। बच्चे पिज्जा, नूडल्स और अन्य फास्टफूड्स को पारंपरिक भोजन की तुलना में ज्यादा वरीयता दे रहे हैं। बच्चे समय पर नाश्ता नहीं करते, जिससे शरीर पर खराब असर पड़ता है।
बच्चों में पारंपरिक एवं स्वस्थ आहार को बढ़ावा देना चाहिए। संतुलित व नियमित भोजन की उपलब्धता महत्वपूर्ण है। भोजन में हरी सब्जियों एवं फलों के उपयोग से माइक्रोन्यूट्रीएंट की कमियों से बचा जा सकता है।
बच्चों के स्वास्थ्य के संदर्भ में स्कूलों में प्रतिवर्ष मेडिकल जांच होनी चाहिए ताकि कुपोषण से ग्रस्त बच्चों का समय रहते पता लगाया जा सके। कुपोषण राष्ट्र के विकास का मुख्य अवरोधक है। सरकार, विद्यालयों, गैर सरकारी संस्थाओं एवं मीडिया को मिलकर इस संबंध में बच्चों और हर आयुवर्ग के लोगों को जागरूक करना चाहिए। तभी पोषित इंडिया ही फिट इंडिया बन सकता है।