पूरी दुनिया के लिए अहम चंद्रयान-2 मिशन
आज भारत देर रात अपने चंद्रयान-2 मिशन के तहत चांद पर विक्रम और प्रज्ञान नामक शोध यान उतार रहा है. यह शोध यान 14 दिनों तक चांद की सतह पर विभिन्न शोध करेगा. इससे पहले चांद पर तीन देश अमेरिका, रूस और चीन कदम रख चुके हैं, लेकिन इसरो का दावा है कि भारत चांद के उसे हिस्से पर कदम रखने जा रहा है जहां इससे पहले कोई भी देश नहीं पहुंचा है. चंद्रयान-2 मिशन के तहत विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा. चांद का यह हिस्सा अभी तक अछूता है.
वैज्ञानिकों के अनुसार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर शोध से यह पता चलेगा कि आखिर चांद की उत्पत्ति और उसकी संरचना कैसे हुई. इस क्षेत्र में बड़े और गहरे गड्ढे हैं. यहां उत्तरी ध्रुव की अपेक्षा कम शोध हुआ है. दक्षिणी ध्रुव के हिस्से में सोलर सिस्टम के शुरुआती दिनों के जीवाष्म होने के मौजूद होने की संभावनाएं हैं. चंद्रयान-2 चांद की सतह की मैपिंग भी करेगा. इससे उसके तत्वों के बारे में भी पता चलेगा. इसरो के अनुसार इसकी प्रबल संभावनाएं हैं कि दक्षिणी ध्रुव पर पानी मिले
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इसी हिस्से पर सौर मंडल में मौजूद बड़े गड्ढों (क्रेटर) में से एक बड़ा गड्ढा यहीं मौजूद है. इसका नाम साउथ पोल आइतकेन बेसिन है. इसकी चौड़ाई 2500 किमी और गहराई 13 किमी है. चांद के इस हिस्से के सिर्फ 18 फीसदी भाग को पृथ्वी से देखा जा सकता है. बाकी के 82 फीसदी हिस्से की पहली बार फोटो सोवियत संघ के लूना-3 शोध यान ने 1959 में भेजी थी. तब इस हिस्से को पहली बार देखा गया था.