पहली बार ड्रोन से बनेगा देश का डिजिटल नक्शा

सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) पहली बार ड्रोन की मदद से देश का डिजिटल नक्शा बना रहा है जो की विज्ञान और तकनीकी विभाग के सहयोग से यह काम दो साल में पूरा होगा। इसके लिए तीन डिजिटल केंद्र बनाए गए हैं। यहां से पूरे देश का भौगोलिक डिजिटल डेटा तैयार होगा। तो वही सैटेलाइट से नियंत्रित होने वाले जीपीएस सिस्टम की अपेक्षा यह डिजिटल नक्शा ज्यादा सटीक और स्पष्ट होगा तो वही राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे स्थानों की मैपिंग नहीं की जाएगी, जाे संवेदनशील हैं। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक से हो गई है। इससे जमीन संबंधी जानकारियां और ठिकाने की पतासाजी आसानी से की जा सकेगी। यह नक्शा 10 सेंटीमीटर तक की सटीक पहचान प्रदान करेगा।
ऐसा मानना है की हमारे पास 2500 से ज्यादा ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट्स है वही यह ग्राउंड कंट्रोल पाॅइंट्स देश के हर 30 से 40 किमी के दायरे में समान रूप से बांटे गए हैं। हालांकि, नई मैंपिंग के लिए वर्चुअल सीओआरएस सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। नई तकनीक की मदद से विभाग निर्धारित स्केल पर ही डिजिटल नक्शा उपलब्ध कराएगा। अभी जो नक्शा मौजूद है उसे ब्रिटिश सर्वेयर कर्नल सर जॉर्ज एवरेस्ट ने 1 मई 1830 को बनाया था।
नए ड्रोन मैपिंग सर्वे में सभी घरों की जियो मैपिंग होगी। वास्तविक स्थान को नक्शे पर चिह्नित किया जाएगा। इससे संपत्तियों के टैक्स में सामने आने वाली त्रुटियां खत्म होंगी और वही टैक्स वसूली बढ़ने से नगर निगम और पालिकाओं को आर्थिक मजबूती मिलेगी। बाढ़ के बाद भी खाली प्लॉट की आसानी के साथ मैपिंग की जा सकेगी। इससे लोगों को राहत मिलेगी।

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