जाने उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी का महत्व
हेमंत ऋतु में आने वाले मार्गषीर्श मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का इस साल क्षय हो गया है। आपको बता दे 22 नवंबर को दशमी युक्त उत्पत्तिका, उत्पन्ना और वैतरणी एकादशी है।
त्रिस्पृशा, जिसमें एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथि भी हो, वह बड़ी शुभ मानी जाती है। कोई ऐसी तिथि एक बार भी कर ले, तो उसे एक सौ एकादशी करने का फल मिलता है। एकादशी माता श्रीहरि के शरीर से इसी दिन प्रकट हुई थीं। व्रतों में एकादशी को सब सिद्धियों को देने वाला माना गया है। एकादशी के दिन नदी आदि में स्नान कर, व्रत रख श्री हरि के विभिन्न अवतारों की लीलाओं का ध्यान करते हुए इनकी पूजा और दान आदि करना चाहिए।
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RANJANA