क्या होगा 2047 के बाद हांगकांग का भविष्य?
हांगकांग में कई महीनों से चल रहे प्रदर्शन एक विवादित प्रत्यर्पण बिल के खिलाफ शुरू हुए थे। धीरे-धीरे इस विरोध ने लोकतंत्र समर्थन आंदोलन की शक्ल ले ली। कुछ दिन पहले वहां हजारों प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्ट्रगान गाते हुए राष्ट्रपति ट्रंप से चीनी सत्ता से मुक्ति दिलाने की गुहार भी लगाई तो वही ऐसे में आजादी के लिए सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारियों के मन में एक आशंका यह भी उमड़-घुमड़ रही है कि 2047 के बाद स्वायत्तता खोने पर इस क्षेत्र का भविष्य क्या होगा?
ब्रिटेन-चीन समझौता
1984 में ब्रिटेन-चीन समझौते के तहत ब्रिटेन ने एक देश, दो प्रणाली के तहत 1997 में चीन को हांगकांग सौंपा था। इसका मतलब यह था कि चीन का हिस्सा होने के बाद भी हांगकांग 50 वर्षों यानी साल 2047 तक विदेशी और रक्षा मामलों को छोड़कर स्वायत्तता का आनंद लेगा।
खत्म होगी स्वायत्तता
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के समय ऐसी कोई कानूनी व्यवस्था नहीं बनाई गई, जिससे स्वायत्तता को बचाया जा सके वहीं 70 लाख आबादी वाला हांगकांग विशेष स्वायत्त क्षेत्र के रूप में अपनी स्वतंत्रता अगले 28 साल बाद खो देगा I
चीन का रुख
2017 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के एक कार्यक्रम में यह संकेत दिया था कि हांगकांग में एक देश, दो प्रणाली का सिद्धांत कभी बदला नहीं जाएगा।
कारोबार के लिहाजा से फायदेमंद
हांगकांग के विशिष्ट प्रशासन ने इसे चीन में विदेशी निवेश का प्राथमिक प्रवेश द्वार बनाने में मदद की, क्योंकि कई वैश्विक कंपनियां भूमि के नियामकों और कानूनी प्रणाली पर भरोसा नहीं करती हैं। व्यापार के उद्देश्य से अमेरिका हांगकांग को शेष चीन से खास मानता है। इसलिए चीनी वस्तुओं पर राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ से हांगकांग अछूता है।
जनता का रुख
चीन का हिस्सा होने के बावजूद हांगकांग के अधिकांश लोग चीन में शामिल नहीं होना चाहते हैं। तो वही कई साल से वहां की जनता आंदोलनों के जरिये चीनी सत्ता से आजादी की मांग कर रही है।