क्यों हानिकारक है हवा में घुले खतरनाक सूक्ष्म कण पीएम 2.5 और पीएम 10

पीएम को पार्टिकुलेट मेटर और कण प्रदूषण भी कहा जाता है. यह दरअसल वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है. तो वहीँ ये इतने छोटे होते हैं कि इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके ही इनका पता लगाया जा सकता है. वहीँ हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और पीएम 10 की मात्रा 100 होने पर ही हवा को सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है. वहीं इनकी मौजूदगी इस स्तर से बढ़ी हो तो इसे खतरनाक माना जाता है.

बता दे जब आप सांस लेते हैं तो ये कण आपके फेफड़े में जाते हैं और फिर कई गंभीर सांस की और अन्य बीमारियों का खतरा बन जता है. पीएम 2.5 हवा में घुलने वाला छोटा पदार्थ है जिसका स्तर ज्यादा होने पर ही धुंध बढ़ती है और विजिबिलिटी का स्तर भी गिर जाता है. वहीं पीएम 10 की बात करें तो इसे रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहा जाता है और इन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है और इससे छोटे कणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या कम होता है. इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं. साथ ही बता दे पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्‍ट्रक्‍शन और कूड़ा व पुआल जलाने से ज्यादा बढ़ता है.

POSTED BY : KRITIKA

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