क्यों घटते – बढ़ते है प्याज के दाम?

सरकार ने प्याज के निर्यात पर बैन लगा दिया है और साथ ही खुदरा और थोक व्यापारियों के लिए स्टॉक की लिमिट भी तय कर दी है तो वहीँ ऐसा प्याज के चढ़ते दाम पर काबू पाने के लिए किया गया है। आपको बता दे देश में कहीं चुनाव नजदीक होते हैं और प्याज की कीमतों में तेजी दिखाई देती है तो आमतौर पर सरकार प्याज के निर्यात पर रोक लगाती है और कीमतें घटने पर खरीदने लगती है।

आपको बता दे 1980 में प्याज चुनावी मुद्दा बन गया था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान प्याज के दाम का जमकर फायदा लिया। तो वहीं, 1998 में दिल्ली में प्याज के ज्यादा दाम बीजेपी की सरकार के गिरने का प्रमुख कारण बने।
आप यह जान ले की देश में प्याज की तीन फसलें होती हैं। खरीफ, लेट खरीफ और रबी। तीनों सीजन्स में कुल मिलाकर 60% से ज्यादा उत्पादन होता है।
जुलाई से सितंबर के बीच प्याज के दाम बढ़ जाते हैं और बाजार थोड़ा बहुत रबी सीजन के प्याज पर निर्भर हो जाता है। इसके अलावा, घरेलू बाजार में प्याज के दाम APMC टैक्स, कमीशन एजेंटों की फीस, एक्सपोर्ट ऑर्डर आदि पर भी निर्भर करते हैं।

तो वहीँ सबसे ज्यादा पैदावार मई महीने के बाद सामने आती है। प्याज का स्टोरेज उसी वक्त शुरू किया जाना चाहिए। तो वहीँ मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मॉडरक्न कोलेड स्टोरेज जरूरी हैं क्योंकि वहां उत्पादन ज्यादा होता है।

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