कैसे होता है अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन? जाने
गणेश चतुर्थी के दिन बाद 10 दिनों तक गणपति की स्थापना कर उनकी खूब सेवा की जाती है तो वही उन्हें नाना प्रकार के व्यंजन, फल और फूल अर्पित किए जाते हैं. साथ ही 10 दिन तक लगातार हर दिन उनके मनपसंद मोदकों का भोग लगाया जाता है. 10 दिन के बाद 11वें दिन यानी कि अनंत चर्तुदशी को बप्पा को गाजे-बाजे के साथ विदा किया जाता है. कहा जाता है की गणपति को ठीक वैसे ही विदा करना चाहिए जैसे हम अपने किसी सगे-संबंधी या रिश्तेदार को यात्रा पर निकलने से पहले विदा करते हैं.
बताते है आपको पूरी विधि :
– विदा करने से पहले गणेश जी को भोग लगाएं.
– आरती करने के बाद पवित्र मंत्रों से उनका स्वास्तिवाचन करें.
– लकड़ी का एक पटरा लें. उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें.
– घर की महिला इस पटरे पर स्वास्तिक बनाए.
– अब इस पटरे पर अक्षत रखने के बाद पीला, गुलाबी या लाल रंग का वस्त्र बिछाएं.
– अब वस्त्र के ऊपर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेरें.
– पटरे के हर कोने पर एक-एक सुपारी रखें.
– अब आपने जिस जगह पर गणपति की स्थापना की हैं वहां से उन्हें उठाकर इस पटरे पर रखें.
– गणेश जी को विराजमान करने के बाद पटरे पर फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और पांच मोदक रखें.
– अब एक छोटी लकड़ी लेकर उसमें चावल, गेहूं और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें. साथ ही सिक्के भी रखें. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यात्रा के दौरान गणपति को किसी तरह की परेशानी न हो.
– नदी या तालाब में गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करें.
– आरती के बाद गणपति से प्रार्थना करें और आपकी जो भी मनोकामना उसे पूर्ण करने का अनुरोध करें. साथ ही 10 दिन तक जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें.
– विजर्सन के समय ध्यान रहे कि गणेश प्रतिमा व अन्य चीजों को फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान-सम्मान के साथ धीरे-धीरे एक-एक चीज विसर्जित करें.