आरबीआई पर बढ़ सकता है रेपो रेट में कटौती करने का दबाव

कहा जा रहा है की रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मौद्रिक नीति समिति की अगली समीक्षा बैठक में रेपो रेट में एक बार फिर कटौती की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो आम लोगों को पर्सनल, होम या ऑटो लोन की ईएमआई के मोर्चे पर राहत मिलेगी. बीते दिसंबर महीने से लगातार चार बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कटौती की है, जो अब 5.40 फीसदी है. वही आपको बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है. बैंक इसी आधार पर ग्राहकों को कर्ज मुहैया कराते हैं. रेपो रेट कम होने से बैंकों को राहत मिलती है. इसके बाद बैंक कर्ज को कम ब्‍याज दर पर ग्राहकों तक पहुंचा सकते है.

वर्तमान में आरबीआई की ओर से रेपो रेट में कटौती के बाद भी बैंक अपने मनमुताबिक ब्‍याज दर पर राहत देते हैं लेकिन अब 1 अक्‍टूबर से ऐसा नहीं होगा. दरअसल, बीते दिनों रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को 1 अक्टूबर से रेपो रेट के साथ होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर के सभी प्रकार के लोन को जोड़ने के लिए कहा है. इसका मतलब यह हुआ कि अक्‍टूबर में अगर रेपो रेट कटौती होता है तो आम लोगों को इसका तुरंत फायदा मिलेगा.
तो वह आपको यह भी बता दे की अगस्त में खुदरा महंगाई बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर में सुस्‍ती की वजह से आरबीआई पर रेपो रेट में कटौती का दबाव बढ़ गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.15 से 0.25 फीसदी की और कटौती कर सकती है.

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